Thursday 3 August 2017

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Wednesday 2 August 2017

Maths formulla (rectangle) in hindi

आयत के  फ़ॉर्मूलास : √ल ० का वर्ग  + चौ ० का वर्ग
आयत का विकर्ण =
आयत का क्षेत्रफल = ल *चौ
आयत का परिमिति या  परिमाप = २ (ल +चौ )
आयत के  क्षेत्रफल में वृद्धि = a+b+ab/100
आयत के  क्षेत्रफल में कमी  = a-b-ab/100
एक आयताकार खेत की ल ० a  और चौ b तथा इसके चारो ओर x चौ का रास्ता हो तो रस्ते का क्षेत्रफल           =       2x (a+b+2x)
एक आयताकार खेत की ल ० a  और चौ b तथा इसके अंदर  चारो ओर x चौ का रास्ता हो तो रस्ते का क्षेत्रफल           =       2x (a+b-2x)



Area
वर्ग का परिमाप = 4A
वर्ग का क्छेत्रफल = A *A
Area of square = a2
Dimension of square= 4a    where a is side of square.

Circle

वृत  के  क्षेत्रफल = π*r2
वृत की परिधि = 2πr
Area of circle = πr2
 cirumference of  circle = 2πr

पाइथागोरस प्रमेय - किसी समकोण त्रिभुज में कर्ण का वर्ग अन्य दो भुजाओ के वर्गों के योग के वरावर होता है।
A2+B2=C2 where A and B आधार और लंब और C कर्ण है।


Saturday 29 July 2017

Zero (शून्य smoke)

शून्य (0) एक अंक है जो संख्याओं के निरूपण के लिये प्रयुक्त आजकी सभी स्थानीय मान पद्धतियों का अपरिहार्य प्रतीक है। इसके अलावा यह एक संख्या भी है। दोनों रूपों में गणित में इसकी अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। पूर्णांकों तथा वास्तविक संख्याओं के लिये यह योग का तत्समक अवयव(additive identity) है।


  • किसी भी वास्तविक संख्या को शून्य से गुणा करने से शून्य प्राप्त होता है। (x * 0 = 0)
  • किसी भी वास्तविक संख्या को शून्य से जोड़ने या घटाने पर वापस वही संख्या प्राप्त होती है। (x + 0 = x ; x - 0 = x)

शून्य का आविष्कार किसने और कब किया यह आज तक अंधकार के गर्त में छुपा हुआ है, परंतु सम्पूर्ण विश्व में यह तथ्य स्थापित हो चुका है कि शून्य का आविष्कार भारत में ही हुआ। ऐसी भी कथाएँ प्रचलित हैं कि पहली बार शून्य का आविष्कार बाबिल में हुआ और दूसरी बार माया सभ्यता के लोगों ने इसका आविष्कार किया पर दोनो ही बार के आविष्कार संख्या प्रणाली को प्रभावित करने में असमर्थ रहे तथा विश्व के लोगों ने इन्हें भुला दिया। फिर भारत में हिंदुओंने तीसरी बार शून्य का आविष्कार किया। हिंदुओं ने शून्य के विषय में कैसे जाना यह आज भी अनुत्तरित प्रश्न है। अधिकतम विद्वानों का मत है कि पांचवीं शताब्दी के मध्य में शून्य का आविष्कार किया गया। सर्वनन्दि नामक दिगम्बर जैन मुनि द्वारा मूल रूप से प्रकृत में रचित लोकविभागनामक ग्रंथ में शून्य का उल्लेख सबसे पहले मिलता है। इस ग्रंथ में दशमलव संख्या पद्धति का भी उल्लेख है


अर्थात् "एक, दश, शत, सहस्र, अयुत, नियुत, प्रयुत, कोटि, अर्बुद तथा बृन्द में प्रत्येक पिछले स्थान वाले से अगले स्थान वाला दस गुना है।"[1] और शायद यही संख्या के दशमलव सिद्धान्त का उद्गम रहा होगा। आर्यभट्ट द्वारा रचित गणितीय खगोलशास्त्र ग्रंथ 'आर्यभट्टीय' के संख्या प्रणाली में शून्य तथा उसके लिये विशिष्ट संकेत सम्मिलित था (इसी कारण से उन्हें संख्याओं को शब्दों में प्रदर्शित करने के अवसर मिला)। प्रचीन बक्षाली पाण्डुलिपि में, जिसका कि सही काल अब तक निश्चित नहीं हो पाया है परन्तु निश्चित रूप से उसका काल आर्यभट्ट के काल से प्राचीन है, शून्य का प्रयोग किया गया है और उसके लिये उसमें संकेत भी निश्चित है। उपरोक्त उद्धरणों से स्पष्ट है कि भारत में शून्य का प्रयोग ब्रह्मगुप्त के काल से भी पूर्व के काल में होता था।
शून्य तथा संख्या के दशमलव के सिद्धान्त का सर्वप्रथम अस्पष्ट प्रयोग ब्रह्मगुप्त रचित ग्रंथ ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त में पाया गया है। इस ग्रंथ में ऋणात्मक संख्याओं (negative numbers) और बीजगणितीय सिद्धान्तों का भी प्रयोग हुआ है। सातवीं शताब्दी, जो कि ब्रह्मगुप्त का काल था, शून्य से सम्बंधित विचार कम्बोडिया तक पहुँच चुके थे और दस्तावेजों से ज्ञात होता है कि बाद में ये कम्बोडिया से चीनतथा अन्य मुस्लिम संसार में फैल गये।
इस बार भारत में हिंदुओं के द्वारा आविष्कृत शून्य ने समस्त विश्व की संख्या प्रणाली को प्रभावित किया और संपूर्ण विश्व को जानकारी मिली। मध्य-पूर्व में स्थित अरब देशों ने भी शून्य को भारतीय विद्वानों से प्राप्त किया। अंततः बारहवीं शताब्दी में भारत का यह शून्य पश्चिम में यूरोप तक पहुँचा।
भारत का 'शून्य' अरब जगत में 'सिफर' (अर्थ - खाली) नाम से प्रचलित हुआ। फिर लैटिनइटैलियनफ्रेंच आदि से होते हुए इसे अंग्रेजी में 'जीरो' (zero) कहते हैं
From Wikipedia...

PROFIT AND LOSS FORMULLA (लाभ और हानि )

FORMULLA OF PROFIT AND LOSS-

In case of profit,
profit = selling price – cost priceselling price = cost price + profitcost price = selling price - prof

In case of loss,
loss = cost price - selling price or c-s

selling price = cost price - loss or c-loss

cost price = selling price + loss or s+loss


Profit percentage and loss percentage

profit percentage=profit×100cost price or p/c *100

selling price=cost price+cost price×profit percentage100=cost price(100+profit percentage)100

cost price=100×selling price100+profit percentage



एक बिजली के आयरन को 15% के लाभ पर बेचा गया यदि उसे 600 रूपये में बेचा जाय तो 20% का लाभ होगा ताे उ‍सका बिक्रय मूल्य क्या था
हल -
frofit and loss question solve with pdf click here

Thursday 27 July 2017

Ratio (अनुपात )





Maths related problem in Hindi.. click here
a:b=1:2  b:c=1:3 find a:b:c=?

a:b=1:2
b:c=1:3 multiple with 2
So b:c =2:6

Therefore a:b:c= 1:2:6


a:b=2:5  b:c=2:3 find a:b:c=?

a:b=2:5 multiple with 2
b:c=2:3 multiple with 5
a:b=4:10
So b:c =10:15

Therefore a:b:c= 4:10:15..

State whether the given statements are true or false:
(a) 12 : 18 = 28 : 56
(b) 25 persons : 130 persons = 15kg : 78kg

Solution: (a) False, Because
12:18 = 2:3 (divided from 6)

and

28:56 = 1:2 (divide it from 28)

These are not equal..

Question-The length and breadth of a steel tape are 10m and
2.4cm, respectively. The ratio of the length to the
breadth is.
 solution- since 1 miter = 100 cm
therefore 10 m = 1000 cm
so rario of lenth and breadth is l:b = 1000: 2.4 =10000:24 =2500:6 (divided it from 4)
                                                      = 1250:3 (divided it from 2)
question :-For a proportion of a: b:: c :d ,
d is the fourth proportional of a, b, c
c is called third proportional to a, b
Mean proportional between a and b is root ab
Invertendo of a/b=c/d. is b/a=d/c
Alternendo of a/b=c/d is a/c=b/d...

A quantity M divided in the ratio of a : b, then each part of the quantity is
I. The first part is M*a/a+b
2  The second part is M*b/a+b
If a : b = x : y and b : c = p : q, then a : b : c = px : py : yq